स्वतंत्र बाजार अर्थव्यवस्थाओं में ‘उपभोक्ता बादशाह होता है।’ पहले के कैविट एम्पटर अर्थात् ‘क्रेता स्वयं चौकन्ना रहे’ के सिद्धांत का स्थान अब केविट वैंडिटर अर्थात् ‘विक्रेता को सावधान रहना चाहिए’ ने ले लिया है।
स्वतंत्र बाजार अर्थव्यवस्थाओं में ‘उपभोक्ता बादशाह होता है।’ पहले के कैविट एम्पटर अर्थात् ‘क्रेता स्वयं चौकन्ना रहे’ के सिद्धांत का स्थान अब केविट वैंडिटर अर्थात् ‘विक्रेता को सावधान रहना चाहिए’ ने ले लिया है।
प्रतियोगिता के इस युग में उपभोक्ताओं के पास वस्तुओं की विविधताएँ मौजूद हैं। आज उपभोक्ता अपने द्वारा खर्च किये जाने वाले पैसों से अधिक गुणवत्ता वाली वस्तुएँ प्राप्त करना चाहता है। परन्तु उसमें सदैव विवेकपूर्ण ढंग से वस्तुओं को खरीदने के बारे में आवश्यक योग्यता नहीं होती।
प्रतियोगिता के इस युग में उपभोक्ताओं के पास वस्तुओं की विविधताएँ मौजूद हैं। आज उपभोक्ता अपने द्वारा खर्च किये जाने वाले पैसों से अधिक गुणवत्ता वाली वस्तुएँ प्राप्त करना चाहता है। परन्तु उसमें सदैव विवेकपूर्ण ढंग से वस्तुओं को खरीदने के बारे में आवश्यक योग्यता नहीं होती।
वंचन, विभेद और अन्याय सभी समाजों में अलग-अलग मात्रा में व्याप्त हैं। अन्याय से पीड़ित, निराश, क्रुद्ध और आक्रमक लोगों में विद्रोह की प्रवृत्ति रहती है। इस तरह सामाजिक परिवर्तन पैदा होते हैं। लेकिन हर समाज में अनिवार्यतः सामाजिक परिवर्तन खड़े नहीं हो पाते।
वंचन, विभेद और अन्याय सभी समाजों में अलग-अलग मात्रा में व्याप्त हैं। अन्याय से पीड़ित, निराश, क्रुद्ध और आक्रमक लोगों में विद्रोह की प्रवृत्ति रहती है। इस तरह सामाजिक परिवर्तन पैदा होते हैं। लेकिन हर समाज में अनिवार्यतः सामाजिक परिवर्तन खड़े नहीं हो पाते।
बाजार नियंत्रित समाजों की मूलभूत प्रकृति यह है कि यहाँ उत्पादक एवं उपभोक्ता पूरी अर्थव्यवस्था को चलाने के लिए दो पहियों की तरह काम करते हैं मगर व्यवहारतः उपभोक्ता उत्पादक की तुलना में अधिक आधार प्रदान करता है।
बाजार नियंत्रित समाजों की मूलभूत प्रकृति यह है कि यहाँ उत्पादक एवं उपभोक्ता पूरी अर्थव्यवस्था को चलाने के लिए दो पहियों की तरह काम करते हैं मगर व्यवहारतः उपभोक्ता उत्पादक की तुलना में अधिक आधार प्रदान करता है।
विगत वर्षों में अर्थव्यवस्था का अत्यधिक विस्तार हुआ। नित नई व्यावसायिक संस्थाओं के अस्तित्व में आने तथा वैश्वीकरण के कारण बाजार में विभिन्न प्रकार की वस्तुओं एवं सेवाओं की भरमार हुई। स्वतंत्र बाजार अर्थव्यवस्था में ’उपभोक्ता बादषाह होता है’ अर्थात् एक उपभोक्ता का यह अधिकार है कि उसने जो मूल्य दिया है उसके अनुरूप ही उसे अच्छी गुणवत्ता की वस्तु या सेवा मिले।
विगत वर्षों में अर्थव्यवस्था का अत्यधिक विस्तार हुआ। नित नई व्यावसायिक संस्थाओं के अस्तित्व में आने तथा वैश्वीकरण के कारण बाजार में विभिन्न प्रकार की वस्तुओं एवं सेवाओं की भरमार हुई। स्वतंत्र बाजार अर्थव्यवस्था में ’उपभोक्ता बादषाह होता है’ अर्थात् एक उपभोक्ता का यह अधिकार है कि उसने जो मूल्य दिया है उसके अनुरूप ही उसे अच्छी गुणवत्ता की वस्तु या सेवा मिले।
जननायक कर्पूरी ठाकुर में राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की सच्चाई सादगी और ईमानदारी, भारत रत्न बाबासाहेब भीमराव अम्बेदकर की आभा, भारत रत्न लोकनायक जयप्रकाश नारायण की ओजस्विता, भारत रत्न अरूणा आसफ अली की निर्भीकता एवं महान समाजवादी डॉ० राम मनोहर लोहिया का लड़ाकूपन एक साथ मौजूद था।
जननायक कर्पूरी ठाकुर में राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की सच्चाई सादगी और ईमानदारी, भारत रत्न बाबासाहेब भीमराव अम्बेदकर की आभा, भारत रत्न लोकनायक जयप्रकाश नारायण की ओजस्विता, भारत रत्न अरूणा आसफ अली की निर्भीकता एवं महान समाजवादी डॉ० राम मनोहर लोहिया का लड़ाकूपन एक साथ मौजूद था।
राजनीतिक संस्कृति में किसी देश की राजनीतिक प्रणाली के प्रति वहां के लोगों के दृष्टिकोण, विष्वास, लगन तथा मूल्य समाहित हैं। दूसरे शब्दों में राजनीतिक प्रणाली के संदर्भ में लोगों के राजनीतिक विश्वास, भावनाएं और दृष्टिकोण होते हैं, उन्हें सामूहिक रूप में राजनीतिक संस्कृति कहा जाता है।
राजनीतिक संस्कृति में किसी देश की राजनीतिक प्रणाली के प्रति वहां के लोगों के दृष्टिकोण, विष्वास, लगन तथा मूल्य समाहित हैं। दूसरे शब्दों में राजनीतिक प्रणाली के संदर्भ में लोगों के राजनीतिक विश्वास, भावनाएं और दृष्टिकोण होते हैं, उन्हें सामूहिक रूप में राजनीतिक संस्कृति कहा जाता है।
भारत एक विशाल देश है जिसकी अपनी विशिष्ट सांस्कृतिक विरासत है। इस बात में कोई सन्देह नहीं कि यह सांस्कृतिक विरासत षिक्षा की दृष्टि से भी अत्यन्त उन्नत है। शिक्षा वह ज्योति है जो जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में हमारा सच्चा पथ प्रदर्शन करती है।
भारत एक विशाल देश है जिसकी अपनी विशिष्ट सांस्कृतिक विरासत है। इस बात में कोई सन्देह नहीं कि यह सांस्कृतिक विरासत षिक्षा की दृष्टि से भी अत्यन्त उन्नत है। शिक्षा वह ज्योति है जो जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में हमारा सच्चा पथ प्रदर्शन करती है।
प्राचीन काल से ही बिहार विश्व के मानचित्र पर विशेष रूप से जाना जाता है, क्योंकि बिहार बौद्धिक, राजनीतिक, सामजिक, शैक्षणिक, सांस्कृतिक प्रत्येक दृष्टिकोण से विश्व का मार्गदर्शक रहा है।
प्राचीन काल से ही बिहार विश्व के मानचित्र पर विशेष रूप से जाना जाता है, क्योंकि बिहार बौद्धिक, राजनीतिक, सामजिक, शैक्षणिक, सांस्कृतिक प्रत्येक दृष्टिकोण से विश्व का मार्गदर्शक रहा है।
India and United States are the largest democratic countries in the world. Both countries have strong institutional affinity, deep rooted democratic foundations, robust constitutional fabric in polity, shared belief in multiculturalism and in human rights.
India and United States are the largest democratic countries in the world. Both countries have strong institutional affinity, deep rooted democratic foundations, robust constitutional fabric in polity, shared belief in multiculturalism and in human rights.